रेल दुर्घटना का दृश्य पर अनुच्छेद । Paragraph on “A Scene of Train Accident” in Hindi Language!
सोमवार का दिन था और सुबह का समय । फरीदाबाद से दिल्ली जाने वाली पहली गाड़ी छूट चुकी थी । रात जोरों से हुई बारिश के कारण रिक्शा न मिलने की वजह से ही मुझे स्टेशन चार किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ा था । यही कारण था कि मेरी पहली ट्रेन छूट चुकी थी । खैर आधा घंटा प्लेटफार्म पर अखबार पढ़कर बिताया । तभी पलवल-दिल्ली के बीच चलने वाली शटल ट्रेन आ गई ।
यह ट्रेन नई दिल्ली होते हुए पुरानी दिल्ली स्टेशन जाती है । ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकते ही मैं उस पर सवार हो गया । उसमें सवार कुछ लोग ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा कर रहे थे । तो कुछ लोग इन सबसे बेखबर हो ताश खेलने में व्यस्त थे । कुछ ऐसे भी लोग थे जो अन्य तरह से अपना मनोरंजन कर रहे थे । गाड़ी फरीदाबाद से चलकर तुगलकाबाद पहुंची ।
यहां ट्रेन में सवार काफी यात्री उतरे । यहां से ट्रेन पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या बामुश्किल आठ-दस ही रही होगी । यहां से ट्रेन रवाना हुए अभी पांच-सात मिनट ही हुए होंगे कि अचानक एक झटके के साथ गाड़ी रुक गई । ट्रेन में सवार लोगों ने सोचा हो सकता है आगे कोई दिक्कत होगी इसलिए सिगनल न मिलने के कारण गाड़ी रुकी होगी ।
गाड़ी रुकते ही कुछ लोग जो हमसे आगे वाले डिब्बों में सवार थे गाड़ी से उतरकर शोर मचाने लगे । आग लग गयी,………..। जिस डिब्बे में मैं सवार था उसमें भी भगदड़ मची इस दौरान मची भगदड़ में कुछ लोगों को चोट आ गयी । मैंने ट्रेन से नीचे उतरकर देखा तो इंजन के बाद पांचवें डिब्बे में से धुआं उठ रहा था ।
ट्रेन से उतरने के बाद मैं भी उस डिब्बे की ओर दौड़ा जिसमें आग लगी हुई थी । आग की चपेट में आया डिब्बा वातानुकूलित था । उसमें एक ही परिवार के करीब पच्चीस सदस्य थे । उनके साथ कुछ छोटे बच्चे भी थे । बच्चों को बचाने के क्रम में परिवार के बड़े सदस्य जिसे जैसे मौका मिला वे बच्चों को ले डिब्बों से बाहर कूदे ।
जैसे ही मैं वहां पहुंचा तो पता लगा कि डिब्बे में उनका जरूरी सामान के साथ-साथ एक वृद्ध महिला भी डिब्बे में ही है । यह सुन मुझसे रहा नहीं गया और मैंने किसी तरह डिब्बे में घुसने का प्रयास किया । कुछ देर के संघर्ष के बाद किसी तरह मुझे डिब्बे के अन्दर पहुंचने में सफलता मिल गयी । डिब्बे की एक कोने वाली सीट पर वृद्ध महिला अपने मुंह और नाक को बंद किये बैठी थी ।
यदि मैं उसे दो चार मिनट और वहां से बाहर न निकालता तो उसका बचना मुश्किल था । मैंने उसे किसी तरह अपने कंधे पर लादा और वहां जो सामान पड़ा था उसमें से एक अदद ब्रीफकेस लेकर मैं किसी तरह गेट तक पहुंचा । तभी बाहर खड़ी भीड़ में से एक व्यक्ति चिल्लाया कि रुको-रुको हम तुम्हारी मदद के लिए आ रहे हैं ।
मेरे समक्ष दिक्कत यह थी कि यदि मैं वृद्धा को कंधे पर लेकर कूदता तो मुझे तो चोट आती ही वृद्धा भी इस क्रम में घायल हो जाती । खैर बाहर खड़े लोगों की मदद से मैंने वृद्धा को सुरक्षित बाहर निकाल लिया । मेरे डिब्बे से उतरते ही अचानक डिब्बे में एक हल्का सा विस्फोट हुआ और आग तेजी से बढ़ गयी । शायद विस्फोट उस डिब्बे में लगे एयर कम्प्रेशर में हुआ होगा ।
तब तक वहां पर अग्नि शमन विभाग व पुलिस कर्मचारी भी पहुंच चुके थे । उन लोगों ने चोटिल लोगों को अस्पताल पहुंचाया । मैं किसी तरह बस पकड़ कर अपने कॉलेज पहुंचा । कॉलेज पहुंचने पर कुछ लोग मेरे कपड़े देखकर दंग थे । जब मैंने उन्हें रेल हादसे की जानकारी दी तो उन्हें पता लगा कि मेरी यह दशा ऐसी क्यों हुई ।
कॉलेज से घर लौटने पर पता चला कि घर के सदस्यों को रेल हादसे की जानकारी मिल चुकी थी और वे लोग मेरे को लेकर चिंतित थे । मुझे सकुशल घर लौटा देख मेरी माता जी ने मुझे आलिंगनबद्ध कर
लिया । मुझे माता जी को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही थी कि आप द्वारा दी गई शिक्षा से आज मैं एक जीवन बचाने में सफल रहा ।
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