विज्ञान: वरदान अथवा अभिशाप | Paragraph on Science: Blessing or Curse in Hindi Language!
वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग कहा जा सकता है । इस वैज्ञानिक युग में चारों दिशाओं में, जल-थल-नभ में विज्ञान के चमत्कार दृष्टिगोचर हो रहे है । नित नये वैज्ञानिक आविष्कार किए जा रहे हैं । आज
मानव-जीवन विज्ञान पर निर्भर हो गया है । घर हो या कार्यालय, विज्ञान ने मानव-जीवन को सरल एवं सुविधा-सम्पन्न बना दिया है ।
दूसरी ओर वैजानिक आविष्कारों के कारण मानव के लिए अनेक प्रकार के प्राणघातक खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं । पहले की तुलना में उगज मानव-जीवन विज्ञान के कारण अधिक असुरक्षित हो गया है । वास्तव में विज्ञान की उत्पत्ति मानव को सुख-समृद्धि प्रदान करने के उद्देश्य से ही हुई थी ।
पहले मनुष्य को जीवनयापन के लिए अत्यधिक शारीरिक श्रम करना पड़ता था और उसे जीवन में पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था । आज मानव ऊँची-ऊँची इमारतों में सुविधा-सम्पन्न जीवन व्यतप्तई कर रहा है और यह विज्ञान की ही देन है । अर्जि रसोई में कुछ मिनटों में ही मानव स्वादिष्ट भोजन तैयार कर लेता है ।
घर बैठकर ही मानव संचार माध्यमों के कारण सारे संसार के सम्पर्क में रहता है । यातायात के आधुनिक साधनों के द्वारा मानव चंद घंटों में ही संसार के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच जाता है । मानव जीवन को ये चमत्कारी सुविधाएँ विज्ञान ने ही प्रदान की हैं ।
पहले प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य को दिन-रात कठिन परिश्रम करने के उपरान्त भी अधिक सफलता प्राप्त नहीं होती थी । आज विज्ञान के कारण मनुष्य कम परिश्रम में अधिक सफलता प्राप्त कर रहा है । आज कृषि की सिंचाई के लिए मनुष्य को बरसात की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती । वैज्ञानिक यंत्रों के द्वारा आज किसान कम मेहनत में भरपूर फसल प्राप्त कर रहा है ।
विज्ञान ने मनुष्य के लिए रोजगार के अनेक द्वार भी खोले हैं । नित नये कल-कारखाने स्थापित हो रहे हैं जिनमें मनुष्य को अधिक शारीरिक श्रम भी नहीं करना पड़ रहा है । इन कल-कारखानों में विभिन्न उपकरण तैयार किए जाते हैं जो मानव-जीवन को सुविधा प्रदान करते हैं ।
आज वैज्ञानिक उपकरणों के द्वारा एक व्यक्ति अपने कार्यालय में बैठकर अपने समस्त कार्य सरलता से कर सकता है । आज प्रत्येक ऋतु में वातानुकूलित कमरे में बैठा व्यवसायी टेलीफोन, कम्प्यूटर, इन्टरनेट के माध्यम से विभिन्न देशों में अपना कारोबार फैला सकता है । इस दृष्टिकोण से विज्ञान मानव के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है ।
वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव-जीवन को सुविधा-सम्पन्न अवश्य बनाया है । अंतरिक्ष की यात्रा करने से मनुष्य के अनेक भ्रम भी दूर हुए हैं । परन्तु मनुष्य को सुविधा प्रदान करने वाला विज्ञान और वैज्ञानिक उपकरण मानव-जीवन के लिए खतरा भी बनते जा रहे हैं ।
आज मनुष्य के घर, कार्यालय और उद्योग धंधे, सभी बिजली पर निर्भर हैं । समस्त आधुनिक उपकरण वियुत से संचालित हो रहे हैं । परन्तु यही वियुत मनुष्य के लिए प्राणघातक भी है । कल-कारखानों में स्थापित यंत्रों के सम्पर्क में आकर भी लोगों ने अपनी जान गंवाई है ।
यातायात के आधुनिक साधन भी चालक की लापरवाही अथवा अन्य कारणों से दुर्धटनाग्रस्त होकर अनेक लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बने हैं । मनुष्य की सुरक्षा के लिए बनाए गए आधुनिक हथियार असामाजिक तत्त्वों के हाथों में पहुँचकर मानव-जाति का विनाश ही कर रहे हैं ।
विज्ञान के चमत्कारी आविष्कार परमाणु बम ने तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा, नागासाकी में विनाश-लीला दिखाकर विज्ञान के खतरों को सिद्ध कर ही दिया था । विज्ञान के आपुनिक यंत्रों और विभिन्न देशों में किए जा रहे रासायनिक परीक्षणों के द्वारा वातावरण में प्रदूषण की मात्रा भी बड़ी है जिससे पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है ।
रासायनिक परीक्षणों से अंतरिक्ष की ओजोन पर्त में छेद भी हो गया है और यह पृथ्वी के प्राणी-जीवन और वनस्पति के लिए खतरे का संकेत है । इस दृष्टिकोण से विज्ञान मानव के लिए अभिशाप के रूप में दृष्टिगोचर हो रहा है ।
विज्ञान के कारण आज मानव-जीवन सुविधा -सम्पन्न अवश्य हो गया है परन्तु मानव के लिए विज्ञान के खतरे भी कम नहीं हैं । वास्तव में विज्ञान मानव के लिए कभी वरदान स्वरूप दिखाई देता है कभी अभिशाप बनकर आघात करता है ।
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