राजा का मिट्ठू । The Parrot
किसी ने महाराज कृष्णदेव राय को एक तोता भेंट किया । यह तोता बड़ी मीठी और सुन्दर-सुन्दर बातें करता था । वह लोगों के प्रश्नों के उत्तर भी देता था । राजा को वह तोता बहुत पसन्द आया ।
उन्होंने उसे पालने और उसकी रक्षा का भार अपने एक विश्वासी नौकर को सौंपते हुए कहा: “इस तोते की सारी जिम्मेदारी अब तुम्हारी हैं इसका पूरा ध्यान रखना । तोता मुझे बहुत प्यारा हैं इसे कुछ हो गया तो याद रखो, तुम्हारे हक में यह ठक नहीं होगा । अगर मुझे तुमने या किसी और ने आकर कभी यह समाचार दिया कि यह तोता मर गया है, तो तुम्हें अपने प्राणों से हाथ धोने पड़ेंगे !”
अतएव नौकर ने तोते की खूब देखभाल की । हर तरह से उसकी सुख सुविधा का ध्यान रखा, पर एक दिन तोता बेचारा चल बसा । बेचारा नौकर थर-थर कांपने लगा । अब उसकी जान की खैर नहीं । वह जानता था कि तोते की मौत का समाचार सुनते ही क्रोध में महाराज उसे मृत्युदंड दे देंगे ।
बहुत देर सोचने पर उसे एक ही रास्ता सुझाई दिया । तेनाली राम के अलावा कोई उसकी रक्षा नहीं कर सकता था । वह दौड़ा-दौड़ा तेनाली राम के पास पहुंचा और उन्हें सारी बात कह सुनाई ।तेनाली राम ने कहा: “बात सचमुच बहुत गम्भीर है वह तोता महाराज को बहुत प्यारा था, पर तुम चिन्ता मत करो । कुछ उपाय मैं निकाल ही लूंगा । तुम चुप रहो । तोते के बारे में महाराज से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं । मैं स्वयं सम्भाल लूंगा ।
तेनाली राम महाराज के पास पहुंचा और घबराया हुआ बोला: “महाराज, वह आपका तोता व…ह…तो…ता…!” “क्या हुआ तोते को ? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो तेनाली राम ? बात क्या है ? महाराज ने पूछा । “महाराज, आपका वह तोता अब बोलता ही नहीं, बिल्कुल चुप हो गया है । न कुछ खाता है, न पीता है, न पंख हिलाता है ।
बस सूनी आखों से ऊपर की ओर देखता रहता है । उसकी औखें तक झपकती नहीं ।” तेनाली राम ने कहा । महाराज तेनाली राम की बात सुनकर बहुत हैरान रह गए । वह स्वयं तोते के पिंजरे के पास पहुंचे । उन्होंने देखा कि तोते के प्राण निकल चुके हैं ।
झुंझलाते हुए वह तेनाली राम से बोले: “सीधे तरह से यही क्यों नहीं कह दिया कि तोता मर गया है । तुमने सारी महाभारत सुना दी असली बात नहीं कही ।” “महाराज, आप ही ने तो कहा था कि अगर तोते के मरने का समाचार आपको दिया गया, तो तोते के रखवाले को मृत्युदंड दिया जाएगा ।
अगर मैंने आपको समाचार दे दिया होता, तो बेचारा नौकर अब तक मौत के घाट उतार दिया गया होता ।” तेनाली राम ने कहा । राजा कृष्णदेव राय इस बात से बहुत प्रसन्न थे कि तेनाली राम ने उन्हें एक निर्दोष व्यक्ति को मृत्युदण्ड देने से बचा लिया ।
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