खाद्य श्रृंखला पर अनुच्छेद | Paragraph on Food Chain in Hindi.
जैविक द्वारा दूसरे जैविक को ऊर्जा प्रदान करना ही भोजन शृंखला कहलाता है । भोजन की शृंखला के एक उदाहरण में शाकाहारी पशु जैसे हिरन अपने भोजन के लिए घास पर निर्भर करता है, जबकि मांसाहारी पशु शेर अपने भोजन के लिए हिरन पर निर्भर करता है । इस प्रकार भोजन शृंखला में ऊर्जा का प्रवाह निम्न स्तर से उच्च स्तर को होता है ।
भोजन ऊर्जा का एक जीव से दूसरे जीवन में जाने में लगभग 90% ऊर्जा का उष्मा के रूप में अपव्यय हो जाता है । अत: स्पष्ट है कि भोजन शृंखला लम्बी नहीं हो सकती । एल्टन नामक जीवशास्त्री ने बताया है कि एक भोजन शृंखला में पाँच-छह से अधिक कड़ियाँ नहीं होती है । भोजन शृंखलाएं कई होती है । तथा यह भी आपस में जुड़ी रहती है ।
ये आपस में अत्यन्त जटिल रूप में गुँथे रहकर भोजन जाल का निर्माण करती है । यही कारण है कि एक जीवन कई प्रकार के जीवों को अपना भोजन बनाता है । इसी प्रकार एक एक पौधा या जीव कई जीवी का भोजन बनता है । उदाहरण के लिए चूहा अनाज से, बिल्ली चूहे से ऊर्जा प्राप्त करती है । गिलहरी कीड़ों व पौधों पर छिपकली मच्छरों व कीड़ों पर अपने भोजन के लिए निर्भर करते हैं ।
वास्तव में विभिन्न जीवों के बीच सम्बन्धों को एक पिरामिड द्वारा समझाया जा सकता है । इस पिरामिड का आधार चौड़ा व मजबूत होता है, यह प्रथम स्तर को बनाता है, जो उत्पादकों द्वारा बनता है, यह संख्या में सबसे अधिक होते है । इस पिरामिड के शीर्ष तक पहुँचते-पहुँचते जीवों की संख्या में कमी होती जाती है । अर्थात् भोजन शृंखला में निम्न स्तर से उच्च स्तर तक बढ़ते-बढ़ते जीवों की संख्या घटती जाती है ।
क्योंकि उच्च स्तर पर के जीव पिरामिड कॉ अपनी भोजन की पूर्ति हेतु के स्तर के जीवों की अधिक आवश्यकता पड़ती है । गाय की’ घास पर की गाय पर अपने भोजन के लिए निर्भरता से इस उदाहरण की पुष्टि होती है । पारिस्थितिकी पिरामिड (Ecological Pyramid) के शीर्ष पा अपनी स्थिति रखता है । वह माँसाहारी व शाकाहारी दोनों ही प्रकार का जीव है । जनसंख्या विस्फोट इस पिरामिड की स्थिति में असंतुलन ला सकता है ।
ओडम (Odum) ने भोजन शृंखला को दो प्रकार का बताया है:
1. शाकवर्ती भोजन शृंखला (Grazing Food Chain):
यह पौधों से प्रारम्भ होकर शाकाहारी और मांसाहारी जीवों से सम्बन्ध रखती है ।
2. अपरदी भोजन शृंखला (Detritus Food Chain):
यह मृत, सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्रारम्भ होती है । इस कार्बनिक पदार्थ से सूक्ष्म जीव भोजन प्राप्त करते हैं । सूक्ष्म जीवों को अन्य अपरद पक्षी जीव खाते हैं । इन अपरद सभी जीवों पर अन्य माँस भक्षी जीव निर्भर करते हैं । इस शृंखला के प्रारम्भ में मृत कार्बनिक पदार्थ पौधों और जीवों दोनों से प्राप्त हो सकते हैं ।
Comments are closed.