विज्ञान: एक अभिशाप पर अनुच्छेद । Paragraph on Science: A Curse in Hindi Language!
अमरीका, रूस, फ्रांस, पाकिस्तान, चीन एवं ब्रिटेन के पास इतने शक्तिशाली परमाणु बम हैं कि वह कुछ क्षणों में पूरी दुनिया को तहस-नहस कर सकते हैं । स्टारवार कार्यक्रम संघर्ष को आकाश में ले जायेगा एवं पूरे वातावरण को इतना दूषित कर देगा कि किसी तरह के किसी जीवन के अस्तित्व की सम्भावना नहीं रह जायेगी ।
वैज्ञानिक युद्ध सामग्री के क्षेत्र में और अधिक विकास करने में व्यस्त हैं वो दिन दूर नहीं जब एक बटन दबाने पर सम्पूर्ण मानव जाति इतिहास बन कर रह जायेगी । हो सकता है समुन्द्र के प्राणी बच जायें एवं धरती पर किसी नये जीव का क्रमिक विकास हो ।
करोड़ों लोग भूख से मर रहे हैं ऐसे में बजट का पचास प्रतिशत से अधिक रक्षा क्षेत्र पर खर्च हो रहा है । भारत का उदाहरण लें । यह विश्व के गरीब देशों में से एक है । हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान, अमरीका, फ्रांस, ईरान एवं सउदी अरब से शस्त्र प्राप्त करता है । हमें भी अपनी रक्षा मोर्चाबन्दी को और उन्नत करना होगा और अपने रक्षा बल को और बढ़ाना होगा ।
हमारे बजट का चालीस प्रतिशत रक्षा के लिये व्यय किया जाता है । पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता है । वहा की सरकार परमाणु बम बनाने में व्यस्त है जबकि उनकी सैन्य व्यवस्था इतना विशाल खर्चा उठाने का सामर्थ्य नहीं रखती । एक बम का मूल्य एक हजार-करोड़ रुपंयों से भी अधिक है ।
उस देश के आम आदमी के पास खाने और पहनने को भी पूर्ण नहीं है । ईरान एवं ईराक के बीच एक भयानक युद्ध हुआ । दोनों देशों का पूर्ण धन युद्ध की भेंट चढ़ गया । नाभिकीय पावर सयन्त्र पर्यावरण के लिये एक बडा खतरा हैं । रूस के चरनोबिल नाभिकीय संयन्त्र के रिसने से हानिकारक विकिरण चारों ओर फैल जाने पर पड़ोसी देश भी प्रभावित हुये ।
विकिरण स्तर इतना अधिक था कि इसके कारण बहुत से पशुओं एवं इन्सानों को जान से हाथ धोना पड़ा । बड़ी-बडी औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़ा गया धूँआ एवं गर्द पूरे वातावरण को विषैला कर रहा है । भोपाल में जहरीली गैस के रिसाव के कारण हजारों लोग मौत के मुँह में समा गये ।
स्विजरलैंड की एक नीजी कम्पनी द्वारा अपना कूड़ा-कचरा नदी में फैंक देने से नदी के सारे जलचराजीव मर गये । अन्तत: सम्पूर्ण जहरीले पदार्थ समुन्द्र में पहुँचकर हर तरह की मछलियों को नुकसान पहुँचते हैं । आधुनिक युग में अधिकतम काम मशीनों द्वारा किया जाता है । एक मशीन हजारों लोगों के लिये काम कर सकती है ।
बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ रही है । जो लोग फैक्टरियों में काम करते हैं वह भी सारा दिन खाली बैठे रहते हैं । हम शरीरिक श्रम भूल चुके हैं हालांकि यही श्रम हमें स्वस्थ बनाये रख सकता है । अब हम मोटर-कारों पर इतने निर्भर हो गये हैं कि थोड़ा सा चलना भी हमें कठिन लगता है ।
परिणामता हमलोग विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं । हम एक स्वस्थ ओजस्वी एवं व्यस्त जीवन नहीं जी सकते । विज्ञान ने हमारे सेवक के रूप में प्रारम्भ किया किन्तु तेजी से हमारा मालिक बनता जा रहा है । यह हमारी आदतों में सम्मिलित हो गया है और वो दिन दूर नहीं जब पूरा प्राणी जगत विज्ञान के दुष्परिणामों को भुगतेगा । इन्सान अगर समय रहते जाग जाए तो वह इसके अभिशाप से बच सकता है ।
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